आगरा में 111 करोड़ से बन रहा आलू अनुसंधान संस्थान, लेकिन प्रोसेसिंग यूनिट और निर्यात ज़ोन की वादाखिलाफी से किसान नाराज़

आगरा। केंद्र सरकार द्वारा आगरा में 111 करोड़ रुपये की लागत से आलू अनुसंधान संस्थान की स्थापना की घोषणा के बाद निर्माण कार्य तो प्रारंभ हो हो जायेगा, लेकिन किसानों की बहुप्रतीक्षित मांगें आज भी अधूरी हैं। भारतीय किसान यूनियन(टिकैत) के जिलाध्यक्ष राजवीर लवानिया ने कहा है कि यह परियोजना तब सार्थक होती जब इसके साथ ही आलू प्रोसेसिंग यूनिट और आलू निर्यात ज़ोन की स्थापना भी की जाती, जिसकी घोषणा स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2014 की चुनावी सभा में आगरा में की थी।
जिलाध्यक्ष लवानिया ने कहा कि आगरा और आसपास का क्षेत्र आलू उत्पादन में देशभर में अग्रणी है, लेकिन स्थानीय किसान आज भी बिचौलियों और उचित विपणन तंत्र के अभाव में आर्थिक रूप से कमजोर हैं। यदि आलू आधारित उद्योग और निर्यात सुविधा क्षेत्र (Export Zone) की स्थापना हो जाती तो किसानों को सीधे लाभ मिलता, उनकी आय बढ़ती और क्षेत्रीय रोजगार को भी प्रोत्साहन मिलता।
“प्रधानमंत्री जी ने स्वयं घोषणा की थी कि आगरा में आलू प्रोसेसिंग यूनिट और निर्यात केंद्र बनेगा, लेकिन आज 11 वर्ष बीतने के बाद भी यह घोषणा सिर्फ़ भाषण तक सीमित रह गई है,” लवानिया ने कहा।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि 111 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे पोटैटो रिसर्च सेंटर का किसान की आमदनी पर तत्काल कोई असर नहीं पड़ेगा, और यह केंद्र तभी सार्थक होगा जब इसके साथ व्यावसायिक संरचनाएं भी विकसित हों।
भारतीय किसान यूनियन ने सरकार से मांग की है कि वह तत्काल आलू प्रोसेसिंग यूनिट और निर्यात ज़ोन की स्थापना की दिशा में ठोस कदम उठाए। अन्यथा किसानों को आंदोलन के लिए विवश होना पड़ेगा।