भारतीय किसान यूनियन टिकैत ने निकाली विशाल ट्रैक्टर तिरंगा मार्च, विभिन्न मांगों को लेकर उप जिलाधिकारी को सौंपा ज्ञापन

हाथरस ।भारतीय किसान यूनियन टिकैत के प्रदेश उपाध्यक्ष व जिला अध्यक्ष संजीव कुमार (भोला सूर्यवंशी) के नेतृत्व में कस्बा सासनी में विशाल ट्रैक्टर तिरंगा मार्च निकाला। तिरंगा मार्च गौहाना पुलिस चौकी से अजरोई भोजगढ़ी से सासनी तहसील पर पहुंची। जिसमे सैकडो ट्रैक्टर मैं और हज़ारो किसान मौजूद रहे। जिसमें किसानों ने राष्ट्रपति महोदय के नाम ज्ञापन उप जिलाधिकारी मनीष शर्मा को सौंपा। ज्ञापन में मुख्य रूप से किसानों की मुख्य मांगे थी कि
CETA नहीं चाहिए, अमेरिका के साथ FTA नहीं चाहिए। अमेरिका द्वारा थोपे गए 25% टैरिफ का विरोध करें, NPFAM नहीं चाहिए, NCP (राष्ट्रीय सहकारी नीति) नहीं चाहिए:
नवंबर 2024 में घोषित नेशनल पॉलिसी फ्रेमवर्क ऑन एग्रीकल्चरल मार्केटिंग (NPFAM) का उद्देश्य APMC मंडियों, सरकारी मार्केट यार्डों का निजी पूंजी के साथ PPP मोड में आधुनिकीकरण करना है जिसमें अनाज की हैंडलिंग, भंडारण और फूड प्रोसेसिंग का मशीनीकरण शामिल है।
जुलाई 2025 में घोषित नई नेशनल कोऑपरेटिव पॉलिसी (NCP) ग्राम पंचायत स्तर पर FPOs को एकल बिंदु बनाती है जहाँ से किसानों को कर्ज, बीज, उर्वरक, कीटनाशक, खेती की सेवाएँ – जुताई, बुआई, सिंचाई, बिजली, स्प्रे, कटाई, खाद्यान्न की खरीद, भंडारण, बाज़ार संपर्क आदि मिलेंगे। ये FPOs लाभ कमाने वाली इकाइयाँ होंगी जिनमें सदस्य लाभ में भागीदार होंगे, न कि किसानों को उचित MSP या कृषि श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी और सामाजिक सुरक्षा देने के लिए। गहरे कृषि संकट के कारण लोग अत्यंत गरीब हैं और ऋण चुकाने में असमर्थ हैं। SKM जनता से अपील करता है कि अन्नदाता का सम्मान और प्रतिष्ठा लौटाएँ।
कानून बनाकर गाँवों में उत्पादक सहकारी समितियों की स्थापना की जाए जो किसान और कृषि श्रमिक परिवारों को बिना ब्याज कर्ज दें और MFI ऋण प्रणाली को 4% वार्षिक ब्याज पर सख्ती से नियंत्रित किया जाए। बिजली क्षेत्र के निजीकरण का विरोध हो; स्मार्ट मीटर नहीं चाहिए:
लंबित बिजली बिलों को माफ किया जाए; ग्रामीण क्षेत्र को 300 यूनिट मुफ्त बिजली दी जाए: ग्रामीण इलाकों को प्रति दिन 18 घंटे बिजली उपलब्ध हो, जिसमें सिंचाई के लिए पंप सेट शामिल हों; राज्य सरकारों ने ग्रामीण उपभोक्ताओं पर आरोप लगाकर बिजली बिलों को कृत्रिम रूप से बढ़ा दिया है जिससे उन्हें बकाया का दोषी ठहराया जा सके। ग्रामीण जनता को कार्पोरेट समर्थित, बहुराष्ट्रीय कंपनियों की नीतियों के कारण आय और रोज़गार के गंभीर संकट का सामना करना पड़ रहा है। उत्तर प्रदेश में प्राथमिक स्कूलों को बंद करने की नीति नहीं चाहिए, योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली भाजपा सरकार 50 से कम छात्रों वाले 5000 प्राथमिक स्कूलों को मर्ज करके बंद कर रही है। यह स्कूल की ज़मीन और संपत्ति को निजी स्वामित्व में बेचने की योजना है। हालांकि आदेश को रोक दिया गया है, इस योजना से स्कूलों की दूरी बढ़ेगी। स्कूलों में कम उपस्थिति का कारण शिक्षा की बदहाल स्थिति, अंग्रेजी मीडियम ना होना और शिक्षकों की कमी है। शिक्षा के अधिकार (RTE) कानून के तहत सरकार फीस प्रतिपूर्ति देकर निजी स्कूलों को बढ़ावा दे रही है और सरकारी स्कूलों को बंद कर रही है। पुलिस और प्रशासन द्वारा समर्थित साम्प्रदायिक हिंसा को रोका जाए। अल्पसंख्यकों, दलितों, आदिवासियों और वंचित वर्गों पर धर्म आधारित संगठित गिरोहों द्वारा कानूनविहीन हमले, उनके घरों और झुग्गियों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना करते हुए बुलडोज़र से तोड़ना, डबल इंजन वाली सरकारों में तेजी से बढ़ रहा है। निर्दोष लोगों पर झूठे मुकदमे दर्ज करना बंद किया जाए, सभी झूठे मुकदमे वापस लिए जाएँ और गिरफ्तार व बंद लोगों को रिहा किया जाए। मछुआरा समुदाय से मुफ्त में नदी में मछली पकड़ने के अधिकार छीनने का आदेश वापस लिया जाए। मछली पकड़ने के अनुबंध देना बंद किया जाए। इस अवसर पर मुख्य रूप से मौजूद रहे प्रदेश उपाध्यक्ष मलखान सिंह जिला उपाध्यक्ष संजीव कुमार (भोला सूर्यवंशी) तहसील अध्यक्ष विष्णु चौधरी, बंटी सिंह, जिला सचिव बंटी ठाकुर, आदि लोग मौजूद थे।