
आगरा। डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के विधिक सलाहकार रहे डॉ. अरुण कुमार दीक्षित की सेवाएं समाप्त कर दी गईं। कार्यपरिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया। उन पर विश्वविद्यालय की छवि धूमिल करने का आरोप लगाया गया है। वहीं, विश्वविद्यालय के वादों की पैरवी करने पर लगाई गई रोक 20 मई से प्रभावी मानी गई है।
पूर्व विधिक सलाहकार डॉ. अरुण कुमार दीक्षित ने विश्वविद्यालय पर उनका भुगतान करने के लिए अधिकारियों पर रिश्वत मांगने के आरोप लगाए थे। इसकी शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय, कुलाधिपति कार्यालय में की थी। उन्हें विश्वविद्यालय की छवि धूमिल करने सहित गंभीर आरोप लगाते हुए 6 जून को कार्य से विरत कर दिया गया था। अधिवक्ता डॉ. अरुण कुमार दीक्षित के कोर्ट में याचिका दायर की थी, इस पर 22 जुलाई को कुलपति, कुलसचिव सहित कार्यपरिषद के सदस्यों को तलब किया गया था। कुलपति प्रो. आशु रानी की अध्यक्षता में हुई कार्यपरिषद की बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि अधिवक्ता को नियुक्त करने और पद से हटाने का अधिकार विश्वविद्यालय के पास है। इसलिए अधिवक्ता डॉ. अरुण कुमार दीक्षित की सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त की जाती है।