
आधुनिक अयोध्या का एक नया अध्याय कायम हुआ। भव्य श्री राम मंदिर पर सनातन संस्कृति का प्रतीक ध्वज प्रतिष्ठित हुआ।
रामो विग्रहवान् धर्मः श्रीराम धर्म,अर्थ, काम एवं मोक्ष के माध्यम हैं। श्रीराम नाम सकारात्मकता व ऊर्जा से भरपूर है। ‘रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे, रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः।’ भारत में श्रीराम के बिना कोई कार्य नहीं होता। हमारी दिनचर्या में श्रीराम समाए हैं। समाज में विभिन्न शुभ एवं मांगलिक कार्यक्रमों में रामनाम पाठ, संकीर्तन आदि सम्पन्न होते हैं।अयोध्या भव्य रूप में प्रतिष्ठित हो रही है। पांच सौ वर्षों की प्रतिक्षा के बाद भव्य श्री राममंदिर का निर्माण हुआ। इसके पहले ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या के समग्र विकास का क्रियान्वयन शुरु कर दिया था। इसी क्रम में श्री राममंदिर पर पताका की स्थापना का भी संकल्प साकार हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,सरसंघ चालक मोहन भगवत राज्यपाल आनंदी बेन पटेल,मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में ध्वजारोहण कार्य सम्पन्न हुआ। अयोध्या में अब
आधुनिकता, वैज्ञानिकता और आध्यात्मिकता तीनों का समन्वय दिखाई दे रहा है। अयोध्या विश्व स्तर की नगरी बन रही है। सौ से ज्यादा देशों में प्रभु राम को अपना वंशज मानने वाला समुदाय है। इन सभी की शैली व परम्परा के यहां दर्शन हो रहे है। इन सभी दृष्टियों से भव्य राम मंदिर, इक्ष्वाकुपुर, कुंभ नगरी का सपना साकार होगा। शास्त्रों में वर्णित दंडकारण्य, विंध्यारण्य,धर्मारण्य, वेदारण्य व गुरुकल, जलाशय,सरोवर, उपवन भी होगा।
हजारों करोड़ रुपए की कार्ययोजना के क्रियान्वयन के बाद अयोध्या विश्व स्तरीय तीर्थाटन केंद्र के रूप में प्रतिष्ठित होगी।
ध्वज में कोविदार वृक्ष की छवि के साथ ‘ओम’ अंकितराम मंदिर के शिखर पर फहराया गया ध्वज दस फुट ऊंचा और बीस फुट लंबा, समकोण त्रिभुजाकार है। ध्वज पर एक उज्ज्वल सूर्य की छवि है, जो भगवान राम की प्रतिभा और वीरता का प्रतीक है, साथ ही कोविदार वृक्ष की छवि के साथ ध्वज पर ‘ओम’ अंकित है। इस ध्वज पर कोविदार वृक्ष का चिह्न अंकित है। इसके साथ सूर्य और ऊं के चिह्न को भी ध्वज में स्थान मिला है। कोविदार वृक्ष अयोध्या के रघुकुल वंश का प्रतीक चिह्न है।ध्वज में सूर्य के चिह्न है। कोविदार वृक्ष श्रीराम के रघुवंश का प्रतीक चिह्न है। इसे उनके वंश के तप और त्याग के प्रतीक के रूप में राम मंदिर के शिखर पर स्थान दिया गया है।



