आगराजनता की आवाज़

तड़पती रही प्रसूता नहीं पहुंची एंबुलेंस, रास्ते में ही बच्चे को दिया जन्म, राहगीर ने दिया सहारा, एंबुलेंस चालकों की हो रही मनमानी

आगरा। आखिरकार स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को हो क्या गया है सरकार को बदनाम क्यों कर रहे हैं बिना पैसे के कोई काम नहीं होता मरीज तड़प रहा है लेकिन एंबुलेंस लेकर नहीं पहुंचते जब तक एंबुलेंस वालों को पैसा नहीं दोगे एक कदम नहीं चलते एत्मादपुर क्षेत्र में प्रसूता चीखती चिल्लाती रही एंबुलेंस को फोन किया एंबुलेंस अस्पताल से चली लेकिन फोन पर बात करता रहा चालक मौके पर नहीं पहुंचा आधे रास्ते से ही वापस चला आया और कह दिया के मौके पर जाने के लिए रास्ता नहीं है राहगीरों ने प्रसूता पीड़ा से परेशान महिला को गाड़ी में अस्पताल के लिए ले जाना प्रारंभ किया तो आधे रास्ते में बच्चे को जन्म दिया लेकिन एंबुलेंस चालक एंबुलेंस लेकर नहीं पहुंचा बच्चे को जन्म देने के बाद परिजन जच्चा बच्चा को लेकर अस्पताल पहुंचे जिस नंबर से एंबुलेंस चालक का फोन आया उसे लगाया तो अस्पताल पर ही खड़ा मिला आखिरकार इसका जिम्मेदार कौन होगा एंबुलेंस चालकों की नकेल किसके हाथ में है इसका कौन जिम्मेदार है परिजनों का आरोप है कि एंबुलेंस चालक पैसा मांगते हैं जब तक पैसा नहीं दोगे तब तक एक कदम नहीं चलते आखिरकार उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं होती स्वास्थ्य अधीक्षक चुपचाप क्यों बैठ जाते हैं कार्रवाई क्यों नहीं करते गांव की आशा प्रशब पीड़िता के साथ थी उसके द्वारा भी लगातार स्वास्थ्य केंद्र पर संपर्क किया गया लेकिन किसी ने कोई सुनवाई नहीं की अगर कोई अनहोनी होती तो कौन जिम्मेदार होता ऐसे दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करनी चाहिए।

देखिए स्वास्थ्य मंत्री जी आपके महकमे का मिजाज गुलजार है ताजा मामला आगरा के एत्मादपुर क्षेत्र का है जहां पर रहनखुर्द निवासी शिवानी पाटनी गजेंद्र को प्रसन्न पीड़ा होने पर आशा मंजू को बुलाया गया जिन्होंने डायल 102 पर एंबुलेंस को बुलाया लेकिन एंबुलेंस नंबर 1159 गांव में ना पहुंच कर दूसरे गांव में खड़े होकर एंबुलेंस कर्मी ने कहा कि पेशेंट को यहीं ले आइए। चाहे तो पैदल या फिर मोटरसाइकिल पर… परिजनों और आशा ने कई बार फोन पर एंबुलेंस कर्मी से मिन्नतें की कि प्रसूता की हालत चलने लायक नहीं है उसके पास डिलीवरी के लिए भी बहुत कम समय है लेकिन एंबुलेंस कर्मी नहीं माना आखिरकार महिला को प्रसन्न पीड़ा अत्यधिक होने पर परिजनों ने किराए पर ईको गाड़ी का इंतजाम किया। और फिर शाम तक स्वास्थ्य केंद्र एतमादपुर को लाने लगे तभी रास्ते में महिला की डिलीवरी हो गई। इसके बाद जच्चा और बच्चा को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जहां दोनों का उपचार चल रहा है। आशा मंजू देवी ने बताया कि ऐसा नहीं है कि वह पहली बार ही ऐसे कैसे लेकर आई हैं पहले भी एंबुलेंस गांव में जाती रही है और दर्जनों डिलीवरी उन्होंने कराई हैं।
इस पूरे मामले से स्वास्थ्य विभाग की असलियत सामने आ गई है।

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